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Solar Energy

पंजाब सरकार सिचाईं पर करेगी खर्च कम, लेगी सौर ऊर्जा की मदद

पंजाब सरकार सिचाईं पर करेगी खर्च कम, लेगी सौर ऊर्जा की मदद

पंजाब सरकार ने कृषि सिचाईं के खर्च को कम करने के लिए १५ हॉर्स पावर सौर ऊर्जा यानि सोलर एनर्जी (solar energy) की सहायता लेने के लिए केंद्र सरकार से आर्थिक मदद मांगी है। पी एम कुसुम योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों के लिए सौर ऊर्जा चलित पंप सेट प्रदान करती है। इसी के अनुरूप पंजाब सरकार भी राज्य के किसानों के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है, जिससे राज्य के किसानों की बिजली का खर्च कम हो सके। पंजाब एक महत्वपूर्ण फसल उत्पादक राज्य है जो कि कृषि जगत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी वजह से खरीफ की फसल के उत्तम उत्पादन के लिए राज्य के किसानों को बीज के साथ साथ अधिक बिजली की भी आवश्यकता पड़ती है। यही कारण है कि पंजाब सरकार बिजली के खर्च को कम करने के लिए पी एम कुसुम योजना से वित्तीय सहायता की मांग की है।

पंजाब राज्य को भी पी एम कुसुम योजना में सम्मिलित करने की मांग

पंजाब सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत मंत्री अमन अरोड़ा जी ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार को लिखित में पत्र भेजा है, जिसमें पंजाब राज्य को पी एम कुसुम योजना में सम्मिलित करने की मांग की है। साथ ही, पंजाब सरकार इस मांग को औपचारिक रूप से केंद्र के समक्ष प्रस्तुत कर चुकी है। हालाँकि, अमन अरोरा जी ने ये भी कहा कि पंजाब राज्य को इस पी एम कुसुम योजना के लाभ से वंचित रखा गया है। साथ ही पंजाब में ज्यादातर पंप सेट की क्षमता १० से १५ एच पी है, किसान उनको वहन करने के लिए सक्षम नहीं हैं, इसलिए किसानों को सी एफ ए यानि केन्द्रीय वित्तीय सहायता की अत्यधिक आवश्यकता है।


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पंजाब राज्य सरकार ने कितने हॉर्स पावर के पंप सेट के लिए माँगा फंड

केंद्र सरकार १ अगस्त २०२२ को पूर्वोत्तर व पहाड़ी राज्यों के किसानों को १५ एच पी क्षमता वाले कृषि पम्पों के लिए सी एफ ए प्रदान करने का प्रावधान किया है, सिर्फ पंजाब राज्य में ही यह ७.५ एच पी तक है। लेकिन पंजाब राज्य सरकार ने १५ एच पी हॉर्स पावर के सौर ऊर्जा पंप सेट की मांग रखी थी।
अब अपनी बंजर और बेकार पड़ी भूमि से भी किसान कमा सकते हैं पैसा, यहां करें आवेदन

अब अपनी बंजर और बेकार पड़ी भूमि से भी किसान कमा सकते हैं पैसा, यहां करें आवेदन

सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए समय-समय पर प्रयास करती रहती है। इसके लिए सरकार किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है, जिनके द्वारा किसान लाभान्वित हो पाएं। सरकार किसानों को लोन मुहैया कारवाने से लेकर कई योजनाओं के माध्यम से सब्सिडी भी प्रदान करती है, ताकि किसान जल्द से जल्द अपनी आय दोगुनी कर पाएं। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए अब राजस्थान सरकार ने किसानों को सौर ऊर्जा (Solar Energy; Saur Urja) से जोड़ने के लिए योजना शुरू की है। इसके तहत सरकार ने जयपुर में 'सौर कृषि आजीविका योजना पोर्टल' (Saur Krishi Ajivika Yojna) लॉन्च किया है। पोर्टल लॉन्च के दौरान राज्य ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी खाली और बेकार पड़ी जमीन और बंजर खेतों में सोलर प्लांट (Solar Plant) लगाकार बिजली उत्पन्न कर सकते हैं, साथ ही इस बिजली को बेंच सकते हैं। इसके लिए सरकार जमीनों के मालिक और किसानों को विद्युत् वितरण कंपनी के साथ जोड़ रही है।

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सरकार ने सौर कृषि योजना पोर्टल किया लॉन्च

सरकार ने यह पोर्टल इसलिए लॉन्च किया है ताकि किसानों और जमीन मालिकों को उनकी जमीन में सौर ऊर्जा संयत्रों को स्थापित करने में किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े। यह पोर्टल किसानों और जमीन मालिकों को सौर ऊर्जा संयत्रों को स्थापित करने में हर प्रकार की मदद करेगा। इस पोर्टल की मदद से सौर ऊर्जा कंपनियां सीधे किसानों और जमीन मालिकों से संपर्क साध सकेंगी, साथ ही इस पोर्टल के माध्यम से जमीन को लीज में लेने की प्रक्रिया भी बेहद आसान हो जायेगी, जिससे किसान और ऊर्जा कंपनियों के अधिकारियों को भी ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही सरकार ने बताया है कि पोर्टल में किसानों के लिए खेती बाड़ी से सम्बंधित अन्य जानकरियां भी उपलब्ध करवाई जाएंगी। नए पोर्टल पर विजिट करने के लिए किसान भाई www.skayrajasthan.org.in पर जा सकते हैं और इसी के माध्यम से किसान भाई अपना आवेदन प्रेषित कर सकते हैं। सरकार ने बताया है कि सौर कृषि योजना के अंतर्गत यदि कोई किसान अपनी जमीन में सौर ऊर्जा सयंत्र स्थापित करना चाह रहा है तो सरकार के द्वारा उसे पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत 30 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाएगी।

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अगर राजस्थान में जमीनों की बात करें तो यहां पर बहुत सारी जमीनें पानी के आभाव में पूरी तरह से बंजर हो गईं हैं। ज्यादातर मिट्टी रेतीली है, जहां पर हर मौसम में खेती करना बेहद मुश्किल काम है, इसके साथ ही राजस्थान की बेहद गर्म जलवायु खेती के अनुकूल नहीं है। जिसके कारण राजस्थान में बहुत सारी जमीनें अनुपयोगी पड़ी हुई हैं, जिनका कोई उपयोग नहीं है। ऐसे में इन बेकार पड़ी जमीनों का इस्तेमाल सौर कृषि योजना के अंतर्गत सौर सयंत्र लगाने में किया जा सकता है। जिससे किसानों और जमीन मालिकों की आय बढ़ सकती है। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले कुछ सालों में राजस्थान में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति हुई है। अभी भारत में राजस्थान राज्य सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नंबर 1 स्थान रखता है। वर्तमान में राजस्थान में 142 गीगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है, अब बहुत सारी सरकारी और निजी कंपनियां सौर ऊर्जा से माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए राजस्थान की खाली पड़ी जमीन में दिलचस्पी ले रही हैं।
अन्न के साथ किसान पैदा कर रहे ऊर्जा, बिना बिजली के खेतों तक पहुंच रहा पानी

अन्न के साथ किसान पैदा कर रहे ऊर्जा, बिना बिजली के खेतों तक पहुंच रहा पानी

क्या आप कभी ऐसा सोच सकते हैं, कि बिना बिजली कनेक्शन के खेतों तक पानी पहुंच जाए? जाहिर है, कि ये बात हर किसी को नामुमकिन लगेगी. आपको बता दें किसानों ने इसी नामुकिन सी बात को मुमकिन कर दिखाया है. आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश में एक विकासशील राज्य है. लेकिन वहन अभी भी इसे कई कृषि क्षेत्र हैं, जहां पर बिजली का कनेक्शन नहीं पहुंचा है. ऐसी स्थिति में कृषि क्षेत्रों के लिए एमपी सरकार की सोलर पंप योजना को काफी ज्यादा पसंद की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में 20 हजार 6 सौ से ज्यादा सोलर पंप क्षेत्रों में स्थापित किये गये हैं. जिसके बाद एमपी के किसान सिर्फ अन्न ही नहीं बल्कि खेतों में उर्जा भी पैदा कर रहे हैं.

एमपी सरकार ने शुरू की योजना

मध्य प्रदेश की सिवराज सिंह चौहान की सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ी योजन की शुरुआत की है. इस योजना के तहत
किसानों के लिए सोलर पंप की सौगात दी है. सरकार की इस योजना के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य है, कि किसान भाई बिजली कनेक्शन के बिना अपने खेतों की फसलों में सिंचाई कर सकें. बिजली की समस्या से राज्य के कई ग्रामीण क्षेत्र के किसान परेशान हैं. बिजली ही एक मात्र ऐसा जरिया है, जिससे खेतों में पानी पहुंचाया जा सके. किसानों की इस समस्या को देखते हुए, सरकार ने नई योजना शुरू करके किसानों के लिए एक विकल्प तैयार कर दिया है. जिससे किसान खेतों में सोलर पंप की मदद सिंचाई करने का फायदा उठा रहे हैं.

बदल गयी सोलर पंप से तक़दीर

राज्य सरकार के मुताबिक 20 हजार 6 सौ से ज्यादा सोलर पंप खेतों में लगाये जा चुके हैं. वहीं सरकार का लक्ष्य 60 हजार सोलर पंप लगाने का है. सबसे अहम बात यह है कि, इस योजना का फायदा उन किसानों को सबसे ज्यादा मिल रहा है, जिनके नदी, तालाब, नलकूप या फिर अन्य स्रोत में पानी था, लेकिन उस पानी का इस्तेमाल करने के लिए बिजली नहीं मिल पा रही थी. जो भी किसान भाई सरकार की सोलर पंप वाली योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड भोपाल में अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. रजिस्ट्रेशन के लिए 5 हजार रुपये की धनराशी निर्धारित की गयी है. ऐसे में अगर किसी किसान का रजिस्ट्रेशन रिजेक्ट होता है, तब किसान को पूरा अमाउंट लौटा दिया जाएगा.

सरकार देगी अनुदान

सोलर पंप के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक एचपी डीसी समर्सिबल पंप के लिए किसानों को सिर्फ 19 हजार रूपये देने होंगे. जिसके माध्यम से उन्हें करीब 30 हजार का फायदा दिया जाएगा. बात दो एचपी डीसी सरफेस की करें तो, उसके लिए किसान को 23 हजार रुपये देने होंगे. दो एचपी डीसी समर्सिबल के लिए सिर्फ 25 हजार रुपये में किसान को सोलर पंप की सुविधा मिलेगी.

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तीन एचपी के लिए 36 हजार और 5 एचपी के लिए 72 हजार, तो वहीं 7.5 एचपी के लिए एक लाख 35 हजार रुपयों का भुगतान किसानों को करना होगा.

इस योजना के लिए पात्रता

  • मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना की पात्रता के लिए किसान आवेदक को एमपी का स्थाई निवासी होना जरूरी है.
  • आवेदक के पास किसान कार्ड भी होना जरूरी है.
  • आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, खेती योग्य जमीन के कागज, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज़ की फोटो के साथ आवेदक का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.
  • एमपी के किसी भी क्षेत्र का किसान क्यों ना हो, वो मुख्यमंत्री किसान सोलर पंप योजना के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकता है.

इन नियमों का जानना जरूरी, वरना नहीं मिलेगा सोलर पंप

  • आवेदक किसान सोलर पंप का इस्तेमाल सिर्फ सिंचाई के लिए ही कर सकता है.
  • सोलर पंप से निकले पानी को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता.
  • मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम से सोलर पंप की स्थापना के लिए सहमती लेनी जरूरी होगी.
  • जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं है, यह योजना सिर्फ उन्हीं किसानों के लिए बनाई गयी है.
इस राज्य में हिम ऊर्जा सोलर पॉवर यूनिट लगवाने पर 40% प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा

इस राज्य में हिम ऊर्जा सोलर पॉवर यूनिट लगवाने पर 40% प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा

हिमाचल प्रदेश में हिम ऊर्जा का 250 से 5 मेघावाट का भूमि पर पॉवर प्लांट स्थापित करने का प्रोजेक्ट चालू किया गया है, जिसके अंतर्गत 250 से 1 मेघावाट के प्रोजेक्ट के लिए कोई भी हिमाचली युवा इस प्रोजेक्ट को लगवा सकता है। साथ ही, सरकार को बिजली बेच कर बेहतरीन आमदनी कर सकता है। हिमाचल प्रदेश सोलर ऊर्जा के मामले में अग्रणी राज्यों में से एक है। साथ ही, सरकार की तरफ से इसके विकास और उन्नति हेतु बहुत सारे कदम उठाए गए हैं। जिनके अंतर्गत हिम ऊर्जा के 250 मेगावाट से 5 मेघावाट के प्रोजेक्ट के जरिए जहां एक ओर बिजली की परेशानियां दूर की जा सकती हैं। दूसरी तरफ बेरोजगार युवाओं के लिए एक रोजगार का उत्तम विकल्प भी है। यहां हिम ऊर्जा के सोलर पॉवर प्रोजेक्ट की संपूर्ण जानकारी है।

हिम ऊर्जा के रूफ टॉप पावर प्लांट स्थापना हेतु मिलेगा 40% प्रतिशत अनुदान

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा एक विशेष योजना जारी की गई है। इस योजना का नाम "सौर उत्पादक एवं अधिगम परियोजना" है। इस योजना के अंतर्गत, निजी एवं सरकारी संस्थानों की छत पर सोलर प्लांट स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना के चलते सरकारी संस्थानों को 70% प्रतिशत तो वहीं निजी संस्थानों को 30% फीसद अनुदान मुहैय्या किया जाता है। इसके अतिरिक्त इस योजना के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति अपने घर की छत पर 1 से 3 किलोवाट का पॉवर प्लांट स्थापित कर सकता है। इसके लिए हिमाचल सरकार भी 40% प्रतिशत तक का अनुदान प्रदान करती है। इसके साथ ही, योजना के तहत स्थापित सोलर प्लांट की ऊर्जा उत्पादन भी उस संस्था हेतु निःशुल्क होती है, जिसमें वह लगवाई गई है। यह भी पढ़ें : इस राज्य के किसानों को मिलेगा सोलर पंप पर अब 75% प्रतिशत अनुदान इस योजना का प्रमुख लक्ष्य है, कि हिमाचल प्रदेश के संस्थानों के तरफ से उत्पन्न विघुत खर्च कम किया जा सके। वह स्वतंत्र ऊर्जा के स्रोत का इस्तेमाल करके अपनी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ती की सकें। यह योजना हिमाचल प्रदेश के लिए एक काफी बड़ी पहल है, जो कि स्वतंत्रता से विघुत उत्पादन करने में सहायक भूमिका निभाएगा।

किसान भाई अपनी भूमि पर सोलर ऊर्जा प्लांट स्थापित कर अच्छी आय कर सकते हैं

जानकारी के लिए बतादें, कि हिमाचल प्रदेश के अंदर हिम ऊर्जा का 250 से 5 मेघावाट का भूमि पर पॉवर प्लांट लगाने का प्रोजेक्ट चालू किया गया है। इसके अंतर्गत 250 से 1 मेघावाट के प्रोजेक्ट हेतु कोई भी हिमाचली युवा इस प्रोजेक्ट को स्थापित कर सकते हैं। साथ ही, सरकार भी बिजली बेचकर काफी बेहतरीन आमदनी कर सकती है। इसके अतिरिक्त गैर हिमाचली भी 1 से 5 मेघावाट तक का हिम ऊर्जा का प्रोजेक्ट स्थापित कर सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे कि हिमाचल प्रदेश में उसकी स्वयं की भूमि हो अथवा लीज पर ली गई हो। इस प्रोजेक्ट में 1 मेघावाट तक का पॉवर प्लांट स्थापित करवाने हेतु न्यूनतम 1 करोड़ रुपये के खर्चे की आवश्यकता होगी। यह भी पढ़ें : किसान के खर्चो में कमी करने के लिए सबसे अच्छा उपाय है सोलर एनर्जी पर निर्भरता

हिमाचल प्रदेश में समकुल कितने हिम ऊर्जा के प्रोजेक्ट हैं

हिमाचल प्रदेश में समकुल 330 MW का सोलर पॉवर प्रोजेक्ट चालू किया गया है। इनमें से 10 MW की लगवाने हेतु सोलन जनपद में, 100 MW का स्थापित करने ऊना जनपद में वहीं 210 MW की स्थापना कांगड़ा जनपद में की गई हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा अपने अनुमति पत्र वापस लेने के उपरांत कुछ प्रोजेक्ट हेतु अधिकृत ठहराया है। बाकी प्रोजेक्ट भी चालू होने वाले हैं।

हिमाचल प्रदेश में सोलर ऊर्जा प्रोजेक्ट से होंगे काफी फायदे

सोलर पॉवर प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के लिए काफी सहायक भूमिका निभा रहा है। इससे यहां की जनता के साथ सरकार को भी काफी फायदा पहुंच रहा है। जानकारी के लिए बतादें कि इससे रोजगार के विकल्प भी उत्पन्न हो रहे हैं। साथ ही, विघुत आपूर्ति में भी इजाफा हो रहा है। इसकी वजह से राज्य में निवेश भी काफी बढ़ रहा है। सोलर ऊर्जा के माध्यम से सड़कों एवं गलियों में विघुत तारों के जाल से निजात मिलती है। साथ ही, सबसे प्रमुख और विशेष बात यह है, कि सोलर ऊर्जा के माध्यम से जल और जलवायु संरक्षण में सहायता मिलती है। साथ ही, लोगों की जीवन शैली में भी काफी हद तक सुधार होता है।

सोलर पॉवर प्रोजेक्ट पर लगभग कितना खर्च हो सकता है

बतादें, कि सोलर पॉवर प्रोजेक्ट हेतु समकुल निवेश की गणना करना काफी मुश्किल है। हालाँकि, जानकारी साझा करते हुए हिमाचल प्रदेश हिमऊर्जा के प्रोजेक्ट मैनेजर विनीत सूद ने कहा है, कि प्रोजक्ट पर आने वाला खर्चा उसके आकार पर निर्भर करता है। यानी कि प्रोजेक्ट का आकार जितना होगा और इसकी जितनी क्षमता होगी उतना ही लागत पर खर्चा आयेगा। उन्होंने कहा है, कि 1 MW सोलर पॉवर प्रोजेक्ट के लिए समकुल निवेश तकरीबन 1 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इस आधार पर यदि MW के आकार में इजाफा होता है, तो लागत में भी इजाफा हो जाता है।
योगी सरकार ने किसानों की फसल को आवारा पशुओं से बचाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया

योगी सरकार ने किसानों की फसल को आवारा पशुओं से बचाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया

सोलर फेसिंग लगाने से किसानों को काफी हद तक फायदा मिलेगा। आवारा या निराश्रित पशु इसकी वजह से किसानों की फसलों को हानि नहीं पहुंचा पाऐंगे। क्योंकि फेसिंग से टच होते ही मवेशियों को हल्का सा करंट महसूस होगा। उत्तर प्रदेश में निराश्रित मवेशी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बन गए हैं। इन आवारा पशुओं के चलते हजारों हेक्टेयर में लगी फसल प्रति वर्ष चौपट हो जाती है। इससे किसानों को बड़े स्तर पर आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। परंतु, वर्तमान में उत्तर प्रदेश के किसानों को आवारा मवेशियों को लेकर अब चिंतित होने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा आवारा पशुओं से फसलों का बचाव करने के लिए एक शानदार प्रस्ताव पेश किया है। योगी सरकार का यह दावा है, कि इस प्रस्ताव के जारी होने के पश्चात काफी हद तक आवारा पशुओं के आतंक पर रोक लगेगी और फसल की बर्बादी भी काफी हद तक कम होगी।

योगी सरकार सोर ऊर्जा से संचालित फेसिंग का आधा खर्च उठाएगी

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले सोलर फेंसिंग लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव के अनुसार, सरकार निराश्रित पशुओं के आतंक पर रोक लगाने के लिए खेतों की तारबंदी करेगी। मुख्य बात यह है, कि तारबंदी में 6 से 10 वॉट का करंट बहता रहेगा। इस करंट की आपूर्ति खेत में लगे सोलर पावर के माध्यम से होगी। इसके लिए योगी सरकार किसानों को अच्छा-खासा अनुदान दे सकती है। सोलर पावर और तारबंदी करने पर जो खर्चा आएगा उसका आधा खर्च राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा।

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बहुत सारे पशुओं की मृत्यु भी हो चुकी है

सोलर फेंसिंग लगाने के उपरांत किसानों को इसका काफी फायदा होगा। आवारा मवेशी उनकी फसलों को चौपट नहीं कर पाऐंगे। क्योंकि, फेंसिंग से टच होते ही मवेशियों को हल्का सा करंट लगेगा। हालांकि, इस करंट की वजह से मवेशियों को कोई भी नुकसान नहीं होगा। हालांकि, पहले भी किसान मवेशियों से फसलों का बचाव करने के लिए खेतों की कटीले तारों से फेसिंग करते थे। कटीले तारों की फेसिंग में करंट की आपूर्ति करना प्रतिबंधित है। क्योंकि, इस की वजह से मवेशियों को काफी हानि पहुंचती थी। वह करंट एवं कटीले तार की चपेट में आने की वजह से घायल हो जाते थे। अब तक उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक फेंसिंग की चपेट में आने से बहुत सारे मवेशियों की मृत्यु भी हो चुकी है।

प्रस्ताव कब तक पेश होगा

बता दें, कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के आने से पहले आवारा मवेशी बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बन गए थे। यही कारण है, कि कृषि विभाग की तरफ से आवारा मवेशियों से फसलों का बचाव करने के लिए इस प्रकार का प्रस्ताव तैयार किया है। ऐसा कहा जा रहा है, कि सोलर फेंसिंग के लिए सरकार अच्छी-खासी सब्सिडी प्रदान कर सकती है। इसके लिए बजट का आकलन किया जा रहा है। कैबिनेट बैठक के पश्चात यह प्रस्ताव लाया जा सकता है।